मोहब्बत केलिए एक जिंदगी नहीं है काफी।
धुप के रौशनी में न देखेगा अन्धेरा न दिखेगी तन्हाई।
इस चांदनी रात में तुम क्यू हो अकेली ?
पोछ दो अपने आसू ,
टूटे हुए काच जैसे कर्दवा होता है यह नफरत,
दिल के दीवानों जैसे,
एक सुनेहरा ख्वाभ जैसे,
मीठा है मोहब्बत।
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